राहु के लिए अद्भुत रत्न
राहु कितना भी शुभ या उच्च का ही क्यो न हो कुंडली मे यह कुछ न कुछ तो अशुभ फल अवश्य देता है वही अशुभ फल जीवन को झँकझकोर कर रख देता है, राहु चाहे तो आसमान की पर पहुचा दे राहु चाहे तो अर्श से फर्श पर गिरा दे।
राहु जब देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है और जब लेने पर आए तो कुछ भी नही छोड़ता राहु ही ऐसा ग्रह है जिसकी 2 प्रकार से पूजा होती है
1-सात्विक
2-तामसिक
मच्छ मणि एक ऐसी मणि है जिसको धारण करने के बाद राहु के अशुभ फल नगण्य हो जाते है।जो ज्योतिष में रुचि रख ज्योतिष बनना चाहता हो , ओर जो राजनीति में छा जाना चाहता हो जो तन्त्र-मन्त्र में सफलता चाहता हो,जो ग्रह क्लेश से पीड़ित हो, जिन पति पत्नी में दूरियां हो,जिसको पेरोनॉर्मल (भूत-प्रेत व पिसाच की पीड़ा ) हो जो अज्ञात भय में जी रहा हो जिसको ऐसी बीमारी हो जो कि डॉक्टर की पकड़ से ही बाहर हो ऐसे व्यक्तियों को मच्छ मणि अ चांदी की रिंग में, या मणि कवच गले मे धारण करना चाहिए।
,,,,,,,,,,,,,,,,मच्छ मणि का उल्लेख वाल्मीकि रामायण के 621 वे अध्याय में आया है कि कैसे श्री हनुमान जी के पसीने से एक मछली गर्भवती हुई जिससे कि उसको मकरध्वज नामक पुत्र हुआ।
मच्छ मणि के बारे में जितना लिखे कम है कि भगवत गीता.. रामायण मे जो लिखा है वो सच है.... ये नवग्रह जो हमारी पृथ्वी को चला रहे हैं वो सच है..... पहनाते हैं उनके फायदे के लिए वो सच है..... तो यह भी सच है कि हनुमानजी का एक पुत्रभी है जिन्हें मकरधवज के नाम से जाना जाता है और उसने एक मछली के गर्ब से जन्म लिया था और वो मछली ही नहीं वो एक मॉ भी थी इसी लिये उन्होंने अपने बेटे की रक्षा करने के लिए अपने सरका पथर निकाल कर अपने बेटे के हाथ में दे दिया .... आप लोगों को बताना चाहुंगा कि मकरधवज का जन्म राहु काल में हुआ था तभी श्री राम ने कहा कि ये मछ मणि कलयुग में राहु की दशा और लोगो कि बिमारीयो मे काम आएगी और इसी जाति की सभि मछलियों मेसे पाई जाएगी तभी मै कहता हूँ कि ये मछ मणि भी सच है......
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